धारचूला
धारचूला शहर काली नदी के किनारे स्थित उत्तराखंड राज्य का एक शांत एवं धार्मिक स्थान है जो समुद्र तल से लगभग 900 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है तथा यह उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ ज़िले का एक जाना माना शहर है। हिमालय के आस पास के स्थानों में प्राचीन समय में बहुत व्यापार हुआ करता था, तबसे आज तक उन व्यापार मार्ग के महत्वपूर्ण हिस्सों में से धारचूला भी एक स्थान रहा है।
धारचूला के पास पर्यटन के बहुत स्थान हैं, जहाँ अनेक पर्यटक आते हैं और अपना समय बिताते हैं, उन पर्यटक स्थलों में से मानसरोवर झील सबसे महत्वपूर्ण है जहाँ सबसे अधिक मात्रा में सैलानी आते हैं। यह धार्मिक पर्यटकों के लिए एक आकर्षण होने के अलावा, धारचूला विभिन्न रोमांचक और साहसिक खेलों की भी पेशकश करता है, जो एड्रेनालाईन यानि कि शरीर से सम्बन्धित बीमारियों से प्रभावित लोगों के लिए एक उपचार भी हैं। साल भर में यहाँ अनेक जगहों से लोग घूमने व अपने परिवार व दोस्तों के साथ समय बिताने आते हैं क्योंकि यहाँ का वातावरण काफी स्वच्छ व शान्त है, जो इस स्थल की एक खास बात है और यही सैलानियों को अपनी ओर खींचती है।
यह स्थान अपनी समृद्ध संस्कृति और विशद परंपराओं के लिए जाना जाता है, धारचूला का व्यस्थ शहर एक बेहद खूबसूरत शहर है जो मीनार की चोटियों से घिरा हुआ है और काली नदी के किनारे स्थित एक प्राचीन घाटी में स्थित है। धारचूला के पश्चिम में शक्तिशाली पंचचूली शिखर स्थित है अतः यहाँ से उसका मनोरम दृश्य भी देखा जा सकता है।
धारचूला में रूंग और शौका लोग निवास करते हैं। रूंग और शौका लोग कम ऊँचाई के लोग होते हैं तथा अपने जीवन में काफी सरल व मेहमाननवाजी स्द युक्त होते हैं। ये लोग काफी लम्बे समय से धारचूला शहर के आसपास की पहाड़ियों में रह रहे हैं। जब ये लोग यहाँ नए नए आए थे, तब गर्मी के मौसम के दौरान मई और जून में ये लोग आसपास की पहाड़ियों में रहते थे और बाद में शरद ऋतु में जब ऊँचाई पर बेहद ठंड होती थी, तब ये लोग मौसम को मात देने के लिए उस दौरान धारचूला की हरी घाटी में रहने आते थे। धीरे-धीरे सनय के साथ इन लोगों को गर्म जलवायु में रहने की आदत हो गई और यही कारण है कि एक बार स्थानान्तरण करने के बाद यह जगह लोगों के लिए एक स्थायी आधार बन गई।
पहले से यहाँ टेंट और लकड़ी के घर हुआ करते थे, और आज वही घर ईंट और मोर्टार के घरों में बदल गए। 1900 के शुरुआती दशक में जब इसकी शुरुआत हुई थी तब ये एक छोटा सा पड़ाव था, जो 1990 के दशक तक पूर्ण विकसित शहर में विकसित हो गया था।
यह शहर न केवल क्षेत्रीय लोगों को एक स्थायी आश्रय प्रदान करता है, बल्कि उन व्यापारियों और तीर्थयात्रियों को भी आराम देता है जो लोग यहाँ से गुज़रते हैं। इस बढ़ती हुई भीड़ की वजह से ही धारचूल मेें व्यवसायीकरण शुरू हुआ, यही उसका आधार है। समय बीतने के साथ, मैदान और तलहटी क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों के लोग भी क्षेत्र के व्यवसायी अवसरों की तलाश में धारचूला में ही बसने लगे। अभी भी, धारचूला में अधिकांश लोग रूंग ही हैं, लेकिन समय के साथ-साथ पंजाबी, बनिया, और अन्य लोग भी यहाँ बसने लगे हैं।
धारचूला का इतिहास:
पिथौरागढ़ पूरे हिमालय क्षेत्र में एक लम्बे-चौड़े वस्तु विनिमय व्यापार प्रणाली से संबंधित था, जिसमें एक सामान के बदले दूसरे सामान को देना या उस सामान के मूल्य के अनुसार उचित कुछ अन्य वस्तु देकर खरीद लेना। भारत चीन युद्ध से पहले, यह तिब्बतियों, और विभिन्न हस्तशिल्प और अन्य कृषि उत्पादों के साथ एक समृद्ध व्यापार मोर्चा था जहाँ इस व्यापार मार्ग के भीतर कारोबार किया जाता था। जैसे जैसे भारत चीन युद्ध समाप्त हुआ, वैसे वैसे समय के साथ इस व्यापार प्रणाली का भी अधिकांश समापन हो गया और लोगों ने अपने परिवारों पालने के लिए कमाई के विभिन्न तरीकों को चुनना शुरू कर दिया। हर कोई अपने अपने हुनर व काबिलियत के अनुसार अपना अपना धंधा शुरु करने लग गया। बस इसी कायापलट के बाद इस क्षेत्र का पर्यटन और कृषि में बदलाव हुआ और धारचूला उत्तराखंड राज्य का एक महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र बन गया।
धारचूला में पर्यटन स्थल:
उत्तराखंड राज्य में धारचूला शहर दूर स्थित है इसलिए यह जो लोग प्रकृति और वन्य जीवन में रुचि रखते हैं, उन यात्रियों के लिए एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। धारचूला में कुछ महत्वपूर्ण और सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं:
नारायण आश्रम: सन् 1936 में स्थापित,पिथौरागढ़ ज़िले से 116 किमी. दूरी पर स्थित यह आश्रम यहाँ का लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यह काफी सुन्दर जगह है, जिसमें सुन्दर बगीचे हैं। यहाँ बगीचों में पर्यटक बैठ सकते हैं और आराम भी कर सकते हैं, यहाँ का माहौल भी काफी शान्त है। यह आश्रम पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है, और यह वर्तमान में बेहद सुन्दर है। आश्रम से थोड़ी ही दूरी पर धौलीगंगा और कालीगंगा का संगम होता है।
मानसरोवर झील: मानसरोवर झील कैलाश पर्वत के पास स्थित पहाड़ियों से घिरी हुई झील है। पुराणों में बताया गया है कि यह हिंदू व बौद्ध धर्म के लोगों के लिए सबसे पवित्र झील है। यहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर यात्रा पर आते हैं।
जौलजीबी: भारत और नेपाल बार्डर पर स्थित यह एक बाज़ार है। यह काली नदी के दोनों ओर फैला हुआ है, नदी के इस पार भारत का बाज़ार है, तथा उस पार नेपाल का बाज़ार है। बीच में काली नदी के ऊपर बना पुल ही दोनों बाज़ारों को जोड़ता है। यह जगह अपने वार्षिक मेला, जौलजीबी मेला की वजह से भारत में बहुत लोकप्रिय है।
धारचूला में साहसिक कार्य:
धारचूला एक पहाड़ी इलाका है जिसकी वजह से धारचूला यात्रियों के लिए पर्वतारोहण और पैराग्लाइडिंग के विविध अनुभव प्रदान करता है। इसके अलावा, ट्रेकिंग, रॉक क्लाइंबिंग और पर्वतारोहण कुछ अन्य सबसे लोकप्रिय साहसिक खेल हैं जो धारचूला में आयोजित किए जाते हैं।
धारचूला कैसे पहुंचे?
वायुमार्ग द्वारा: धारचूला का निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है, जहाँ के लिए कुछ प्रमुक शहरों से साप्ताहिक उड़ानें उपलब्ध हैं; इसके अलावा आप जौलीग्रांट हवाई से सीधा पिथौरागढ़ के लिए सीधी उड़ान भी ले सकते हैं।
रेल मार्ग द्वारा: धारचूला पहुँचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन टनकपुर रेलवे स्टेशन है, जो वहाँ से 200 किमी. दूर है। यहाँ से आप टैक्सी कराकर वहाँ तक पहुँच सकते हैं।
रोड मार्ग द्वारा: धारचूला रोडवेज द्वारा उत्तराखंड के बाकी हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। रोड द्वारा ही धारचूला पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका है। आप टनकपुर या अल्मोड़ा से कैब या टैक्सी किराए पर लेकर और पिथौरागढ़ से राज्य द्वारा उचित संचालित बसें लेकर समय पर धारचूला पहुँच सकते हैं।