हरिद्वार – ‘देवताओं के द्वार’ के रूप में प्रसिद्ध
अगर आप कभी हरिद्वार से गुज़रें हैं, पर कभी यहाँ के बारे में जान न सके। अगर आपने कभी बस की खिड़की से संध्या के वक़्त यहाँ की गंगा नदीमें जलते दिए देखे और मन में यहाँ जाने की बहुत अभिलाषा हुई पर आप बस से बाहर एक भी कदम रख न सके, तो आज ही मौका है घूमने का विश्व की उन चुनिन्दा जगहों में से एक जहाँ हर वर्ष लाखों की तादाद में लोग दर्शन के लिए आते हैं।
हरिद्वार उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में शिवालिक श्रेणी की गोद में स्थित एक प्राचीन धार्मिक शहर व एक ज़िला है जो सम्पूर्ण भारत में, यहाँ के सात पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। इसका धार्मिक महत्व यह है कि पवित्र नदी ‘गंगा’ पहली बार यहीं सेबमैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है। हरिद्वार नाम दो शब्दों से बना है— पहला ‘हरि’ और दूसरा ‘द्वार’। हरि शब्द का अर्थ है भगवान और द्वार का अर्थ द्वार है, और इस प्रकार हरिद्वार का पूरा अर्थ है— ‘देवताओं का एक द्वार’ और यह उत्तराखंड के चार धाम के प्रवेश द्वार के रूप में भी कार्य करता है।
एक धार्मिक स्थान के अतिरिक्त, हरिद्वार भारतीय संस्कृति के बारे में जानने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है और अपने वर्षों पुराने आयुर्वेद उपचार और हर्बल दवाओं के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। हरिद्वार में लोकप्रिय पतंजलि योगपीठ आयुर्वेद उपचार और चिकित्सा के क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध है, इसकी स्थापना स्वामी रामदेव और आचार्यबालकृष्ण ने की थी। हरिद्वार अब अद्वितीय भारतीय परंपराओं को सीखने के लिए बहुत सारे छात्रों के लिए घर के समान है और हम उस जगह को ‘गुरुकुल’ कहते हैं।
समुद्र मंथन के दौरान, यह माना जाता है कि अमृत पृथ्वी पर गिर गया, जो 14 सुंदर चीजों में से एक था, पृथ्वी पर 4 ही ऐसे स्थान हैं जहाँ पर अमृत गिरा। हरि-की-पौड़ी उन 4 स्थानों में से एक है जहाँ पर अमृत धरती पर गिरा था। इसलिए, विश्व प्रसिद्ध कुंभ मेला हर बारह साल और अर्धकुंभ मेला हर छह साल में यहाँ आयोजित किया जाता है। तीर्थयात्रियों का मानना है कि वे हरिद्वार में गंगा नदी में एक पवित्र स्नान करके स्वर्ग जा सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि आप हरिद्वार में पवित्र गंगा के पानी में डुबकी लगाते हैं, तो आपके सारे पाप धुल जाएंगे तथा आपका मज शुद्ध हो जाएगा। हरिद्वार एक ऐसा स्थान है जहाँ बहुत सारे संत और भक्त भगवान शिव, भगवान हरि और माँ गंगा की पूजा करते हैं।
पहले दिनों में हरिद्वार एक बंदरगाह शहर हुआ करता था और व्यापक रूप से ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा चीजों को आयात या निर्यात करने के लिए जहाजों का उपयोग किया जाता था। गंगा नदी पर बना भीमगोड़ा बांध, जिसे 1854 में बनाया गया था, यह हरिद्वार में ही स्थित है। हरिद्वार रेलवे स्टेशन 1886 में लक्सर रेलवे स्टेशन से जुड़ा था।
हरिद्वार का क्षेत्रफल लगभग 2,360 वर्ग किमी. है। इसकी ऊँचाई समुद्र तल से 292 मीटर है। हरिद्वार में प्रमुख भाषाएँ हिंदी, संस्कृत, गढ़वाली और अंग्रेजी हैं। अगर आप शाकाहारी हैं, तो आपको परेशान होने की कोई चिन्ता नहीं है क्योंकि हरिद्वार एक पवित्र स्थान है, इसलिए हरिद्वार में मांसाहारी भोजन और शराब पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
यहाँ का मौसम अक्टूबर से फरवरी महीने के बीच अच्छा रहता है और इस वक़्त यहाँ अपने परिवार व दोस्तों के साथ समय बिताने का सबसे अच्छा समय होता है। यहाँ होटलों की उचित व्यवस्था है, जो उचित मूल्य पर उपलब्ध हैं। होटल आपको 24/7 सेवा देने के लिए तत्पर रहते हैं। उत्तर भारत का लोकप्रिय प्राकृतिक स्थल, राजाजी नेशनल पार्क यहाँ से महज़ 22 किमी. की दूरी पर स्थित है। परिवार व दोस्तों के साथ प्रकृति के करीब समय बिताने के लिए यह भी उत्तराखण्ड की चुनिन्दा जगहों में से एक है।
हरिद्वार में पाँच आध्यात्मिक स्थान हैं जहाँ ज़्यादातर लोग जाते हैं, और वे स्थान बहुत पूरे विश्व में बहुत लोकप्रिय हैं, इसलिए उन पाँच स्थानों को ‘पंच तीर्थ’ के रूप में भी जाना जाता है। वह स्थान हैं—
हरि की पौड़ी: यह एक ऐसा पवित्र स्थान है जहाँ समुद्र मंथन के दौरान अमृत धरती पर गिरा था, यहाँ प्रतिदिन गंगा आरती का आयोजन होता है जो पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है। साल भर में अनेकों श्रद्धालु यहाँ दर्शन करने आते हैं।
कुशावर्त (घाट): यह गंगा नदी के तट पर स्थित एक धार्मिक घाट है, जहाँ पर लोग अपने पूर्वजों के लिए धार्मिक क्रियाएँ करते हैं।
कनखल: माना जाता है कि यह हरिद्वार का सबसे पुराना रहने वाला क्षेत्र है। कनखल में सती कुंड भी है जहाँ माता सती ने अग्नि में प्रवेश किया था क्योंकि उनके पिता दक्ष ने माता सती पति (भगवान शिव) को स्वीकार नहीं किया था।
बिल्वतीर्थ (मनसा देवी मंदिर): यह मंदिर बिल्व पर्वत के शिखर पर स्थित है, इसलिए बिल्वतीर्थ कहा जाता है। यह मंदिर मनसा देवी को समर्पित है, मनसा का अर्थ है इच्छा करना, और यह माना जाता है कि जब आप अपने शुद्ध मन से यात्रा करते हैं, तो देवी आपकी मनोकामनाएँ पूर्ण करती हैं।
नील पर्वत (चंडी देवी): यह मंदिर नील पर्वत के शिखर पर स्थित है। मंदिर देवी चंडी देवी को समर्पित है और आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया है।
विश्व प्रसिद्ध ‘गंगा आरती’ हरि की पौड़ी में ही आयोजित की जाती है। हरिद्वार में लोकप्रिय बाज़ार बाड़ा बाज़ार, मोती बाज़ार, कनखल और ज्वालापुर हैं। दिल्ली से, हरिद्वार की दूरी 230 किमी. है। इसी तरह, ऋषिकेश से 25 किमी., मसूरी से 110 किमी., देहरादून से 55 किमी. और देवप्रयाग से 110 किमी. है। हरिद्वार उत्तराखंड राज्य और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अन्य स्थानों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
हरिद्वार तक आप तीन तरीकों से पहुँच सकते हैं: –
हवाई मार्ग से: हवाई मार्ग से आने के लिए निकटतम हवाई अड्डा देहरादून में स्थित है, जिसका नाम जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है। देहरादून राज्य की राजधानी है, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से साप्ताहिक उड़ानें होती हैं।
रेल द्वारा: यहाँ रेल मार्ग द्वारा आने के लिए हरिद्वार रेलवे स्टेशन मुख्य है, यहाँ से वापसी की भी सभी ट्रेनें उपलब्ध रहती हैं।
सड़क मार्ग द्वारा: NH-54 राजमार्ग हरिद्वार से होकर गुजरता है। यह राजमार्ग प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। हरिद्वार से प्रमुख स्थानों के लिए बस और टैक्सी भी 24/7 उपलब्ध रहती हैं।