द्वाराहाट
सैलानियों का प्रिय स्थल द्वाराहाट अल्मोड़ा के करीब बसा एक कस्बा है, जो अपने भव्य मंदिरों के लिए पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है। यह समुद्र तल से 1500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, तथा रानीखेत से महज़ 21 किमी. दूर है। द्वाराहाट की खास बात यह है कि यहाँ अनेक अद्भुत एवं आश्चर्यजनक मंदिर हैं, जो काफ़ी वक्त से मौजूद हैं और इनकी खूबसूरती अभी भी वैसी की वैसी ही है। यह मंदिर गुर्जर वास्तुकला के साथ बनाए गए हैं और इतिहास के प्रति एक विशेष रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक बड़ा आकर्षण के केन्द्र हैं। इन मंदिरों को काफ़ी बारीकी से बनाया गया है तथा इन मंदिरों की वास्तुकला बहुर सुन्दर है, कोई इतिहास में रुचि लेने वाला इन्हें देखकर आश्चर्य से भर जाएगा तथा इन्हें कैमरे में कैद कर, बाद में इनमें शोध-कार्य करेगा।
द्वाराहाट की खूबसूरती अत्यंत सुखदायी है। यहाँ की कई स्थानीय लोककथाओं का मानना है कि द्वाराहाट एक दिव्य स्वर्ग का मार्ग है, और यहाँ की हरी-भरी पहाड़ियाँ व शान्त वातावरण मानो इन लोककथाओं के चश्मदीद गवाह हों। चारों तरफ़ हरियाली, सुन्दर पहाड़ व यहाँ की शान्ति सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है, और इनसे मालूम पड़ता है कि यह वाकई में स्वर्ग का मार्ग है।
द्वाराहाट शायद उत्तराखंड राज्य का सबसे अनछुआ पर्यटन स्थल है। हालांकि इस क्षेत्र में कई मंदिर मौजूद हैं, लेकिन उचित संसाधनों की कमी होने के कारण द्वाराहाट के बारे में कई लोगों के पास सही रूप से पूरी जानकारी नहीं है। यह भी उत्तर भारत की उन चुनिन्दा जगहों में से एक है, जहाँ पर्यटक काफी भारी संख्या में अपने दोस्तों व परिवार के साथ छुट्टियाँ बिताना पसंद करते हैं।
द्वाराहाट का इतिहास:
द्वाराहाट का इतिहास ज़्यादातर कत्युरी राजवंश से संबंधित है, जिन्होंने 10वीं शताब्दी में इस क्षेत्र में शासन किया था। कई इतिहासकारों के निरंतर प्रयासों से यह पताा चला है कि द्वाराहाट कत्यूरिकद्वीप की अलाउद्दीन की राजधानी थी और राज्य के प्रशासनिक केंद्र के रूप में कार्य करती थी, उन्होंने इसे राजधानी के तौर पर इसलिए चुना, क्योंकि यह सम्पूर्ण उत्तराखंड के भौगोलिक केन्द्र में स्थित थी तथा आयात-निर्यात व अन्य महत्वपूर्ण काम किसी भी कोने से आसानी से किए जा सकते थे। तबसे यह पूरे विश्व की सुर्खियों में आने लगा तथा दूर-दूर से लोग यहाँ आना पसंद करने लगे। इसके अलावा, इस शहर का एक व्यापक धार्मिक इतिहास है, और स्थानीय आबादी अक्सर इसे भगवान शिव के भक्तों के लिए सबसे धार्मिक स्थानों में से एक मानती है तथा भगवान शिव की यहाँ पूजा होती है, तथा यहाँ के लोग शिवजी को बड़ा मानते हैं।
द्वाराहाट में दर्शनीय स्थल:
द्वाराहाट अपने दर्शनीय क्षेत्र में अभी भी विकासशील चरण में है और यह पर्यटन के क्षेत्र में अभी भी विकासशील चरण में है, इसके बावजूद द्वाराहाट शहर में पर्यटन के बहुत सारे अवसर हैं। द्वाराहाट शहर के कुछ प्रमुख पर्यटक आकर्षण निम्न हैं:
कत्यूरी युग के शिव के प्राचीन मंदिर:
• मृत्युंजय मंदिर: यह एक मंदिर समूह है, जिसमें मृत्युंजय मंदिर ही अभी मौजूद है तथा बाकि के मंदिर के केवल अवशेष मात्र ही मौजूद हैं। यज मंदिर शिवजी को समर्पित है तथा इसके गर्भगृह में शिवलिंग मौजूद है। उसी के समीप चतुर्भुज गणेशजी की प्रतिमा मौजूद है तथा सामने दायीं दीवार पर देवनागरी लिपि में एक लेख मौजूद है।
• मनियान मंदिर: यह भी एक मंदिर समूह है जिसमें मात्र तीन मंदिर ही अभी सुरक्षित हैं। यह मंदिर भी शिवजी को समर्पित है तथा यहाँ गणेश जी की प्रतिमा सहित जैन द्वारा स्थापित जैन तीर्थकर प्रतिमा का उल्लेख भी मिलता है।
• कचहरी मंदिर समूह: बारह मंदिरों से बना यह भी एक मंदिर समूह है, जिसमें प्रवेश द्वार के उत्तर में गणेश जी की और मंदिरों की तरह प्रतिमा मौजूद है। यह मंदिर समूह पूर्णतः शिवजी को समर्पित है।
• रत्नदेव मंदिर समूह: इस मंदिर समूह में कुल नौ मंदिर मौजूद हैं। इनकी शैली अन्य मंदिरों से थोड़ी अलग है क्योंकि इनका देवालय रेखा शैली में निर्माण किया गया है। यह मंदिर समूह भी खुद में एक मह्त्वपूर्ण स्थल है तथा बेहद खूबसूरत है।
• गूजर देवाल: इस मंदिर का निर्माण कत्युरी शासन काल के दौरान गूजर नामक वैश्य द्वारा किया गया था। इसका निर्माण एक चबूतरे के ऊपर किया गया है। अनेक प्रतिमाओं के मौजूद होने के साथ यह स्थापत्य शैली में निर्माण किया गया यह मंदिर बहुत खूबसूरत है।
• बद्रीनाथ मंदिर समूह: रेखा शिखर शैली में बना यह मंदिर बेहद खूबसूरत है तथा यह भी शिवजी को समर्पित है। इस मंदिर के समीप दक्षिणाभिमुख लक्ष्मी मंदिर स्थित है।
यह शिव मंदिर सांस्कृतिक जीवन में केंद्र भी थे, यहाँ मंदिर केवल पूजा, आराधक तक सीमित नहीं थे। जब इन मंदिरों की स्थापना हुई थी, केवल वातावरण में परिवर्तन नहीं आया अपितु इनके निर्माण से आस पास की धार्मिक प्रवृत्तियों के जागरण में भी सहायता मिली।
द्वाराहाट अपने द्वाराहाट में साहसिक उत्तराखंड के अन्य पर्यटन स्थलों की तुलना में द्वाराहाट का साहसिक क्षेत्र निशान तक नहीं है। हालाँकि, जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, द्वाराहाट में बहुत से नए और आकर्षक साहसिक खेल खुल रहे हैं, जैसे झूला देवी मंदिर तक ट्रेकिंग करना, चौबटिया के हरे-भरे बागों की सैर करना, आदि। इन साहसिक कार्यों की वजह से द्वाराहट घूमने जाना और अधिक रोमांचक हो गया है, सैलानियों को यहाँ आकर इन साहसिक गतिविधियों का लुप्त लेना बहुत पसंद है।
उत्तराखंड के अधिकांश शहरों की तरह, द्वाराहाट में भी राज्य के विभिन्न हिस्सों से अच्छी कनेक्टिविटी है। द्वाराहाट तक पहुँचने के लिए आप निम्न मार्गों द्वारा आ सकते हैं —
रेल मार्ग द्वारा: यहाँ पहुँचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जो हल्द्वानी में स्थित है। यहाँ तक उचिल रेलगाड़ियों द्वारा आप आ सकते हैं।
वायु मार्ग द्वारा: द्वाराहाट के लिए निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है। यहाँ तक देश के कोनों से उचित उड़ानें साप्ताहिक तौर से उपलब्ध रहती हैं।
यात्री यहाँ वायुमार्ग के साथ-साथ रेलवे द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों से आ सकते हैं। इसके अलावा, द्वाराहाट की अल्मोड़ा, हल्द्वानी, और नैनीताल के साथ सड़कों से अच्छी कनेक्टिविटी है। रेलगाड़ी या हवाई जहाज़ से उतरकर कोई भी हल्द्वानी, पंतनगर से द्वाराहाट तक पहुँचने के लिए बस या टैक्सी आसानी से ले सकता है।